लौटते हुए परिंदे

कथाकार सुरेश तिवारी का कहानी संग्रह

Monday, May 19, 2008


अपनी बात – सुरेश तिवारी
मनोभावों का कुशल चितेरा - शिवशंकर पटनायक

फ़्लैप पर – डॉ. किरण तिवारी

कथाक्रम
1. सुबह का भूला
2. नफ़रत

3. हादसा
4. तनाव
5. बदलती तस्वीर
6. अगर

7. सूने शहर में
8. ठहरा हुआ वक्त
9. नौकरी

10. पतले तारों सी ज़िंदगी
11. फाइल
12. वापसी

13. मोड़
14. मौन हो जाता है समुद्र भी कभी
15. लौट आते हैं परिंदे
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Posted by जयप्रकाश मानस at 8:51 PM
Labels: मुख्यपृष्ठ

2 comments:

शोभा said...

सुन्दर चित्र। कुछ पढ़ नहीं पाई।

May 22, 2008 at 8:42 AM
Amit K Sagar said...

lautte huye paridne,awashya padhee jaanee chahiye...iskaa sheershak hi kathaakan kaa bhav detaa hai.
---
likhte rahiye. keep it up.
saadar;
sagar
ultateer.blogspot.com

May 22, 2008 at 8:59 AM

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मोबाइल- 94242-03432

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